HOT STORIESOF INDIANS: Incest parivar 2

Wednesday 8 July 2020

Incest parivar 2









तुम सुधरोगी नही" कंचन ने गुस्से से कहा।
"यार एक बात कहूँ बुरा मत मानना?" नीलम ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।
"हा कहो क्या बात है" कंचन ने जवाब दिया।
"यार तुम्हारा भाई विजय भी कुछ कम नहीं है, शर्मीला बुहत है मगर उसकी बॉडी किसी फिल्म स्टार से कम नहीं । तुम्हें किसी दुसरे से अगर डर लगता है तो फिर अपने भाई को ही क्यों नहीं लिफ्ट दे देती घर की बात घर में रहेगी" नीलम ने एक ही साँस में बोलते हुए कहा।

"तुम्हेँ शर्म वरम है या सब कुछ घर पर छोडकर आई हो, वह मेरा सगा भाई है तुम उसके बारे में मुझे ऐसा कह रही हो । जाओ भागो यहाँ से मैं तुमसे बात नहीं करती", कंचन नीलम की बात सुनने के बाद गुस्से से बोली ।

कंचन को बार बार नीलम की बात ज़हन में आ रही थी और उसे बार बार अपनी चुचीयों पर अपने भाई के हाथ का स्पर्श महसूस हो रहा था, कंचन को खुद समझ में नहीं आ रहा था की वह इतना गन्दा क्यों सोच रही है।

कंचन का पूरा जिस्म अपने भाई के बारे में सोचते हुए गरम हो चुका था और कंचन की चूत में बुहत ज़ोर की सनसनाहट हो रही थी, कंचन का हाथ अपने भाई के बारे में सोचते हुए अपने आप उसकी पेंटी के ऊपर आकर घुमने लगा ।
कंचन को अपना हाथ पेंटी पर घुमाते हुए महसूस हुआ की उसके हाथ पर कुछ गीला चिपचिपा लग रहा है। कंचन समझ गयी के एक्ससाईटमेंट में उसकी चुत से पानी निकल रहा है, क्योंकी उसकी सहेली नीलम ने उसे बातों बातों में सब कुछ बता दिया था की चूत से पानी निकलता है और की कोई मरद किसी लड़की को उसकी चूत के छेद में लंड डाल कर चोदता है।

कंचन ने अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद किया और अपने सारे कपडे उतार कर ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गयी, कंचन आइने में अपने आप को नंगा देखकर खुद शर्मा गयी ।
नीलम की बात बिलकुल सच थी, कंचन का पूरा जिस्म बिलकुल गोरा और शीशे की तरह बिलकुल साफ़ था, उसकी ३४ साइज की चुचियां उसके सीने पर बिलकुल किसी गोल बॉल की तरह टाइट थी।



कंचन की चुचियों के दाने बिलकुल गुलाबी थे और उसकी दोनों चुचियों के बीच एक काला तिल उसे और आकर्षक बना रहा था । कंचन अपने हाथों से अपनी दोनों चुचियों को पकड कर सहलाने लगी, अपने हाथ चुचियों पर लगते ही कंचन की चूत में और ज़्यादा सिहरन होने लगी ।

कंचन ने अपने हाथों से चुचीयों को सहलाते हुए अपनी उँगलियों से अपने दोनों चुचियों के गुलाबी दाने पकड लिए और उन्हें अपने उँगलियों के बीच में दबाने लगी, "आह्ह अपनी चुचियों के दाने पर दबाव पड़ते ही कंचन के मूह से सिसकी निकल गई।

कंचन कुछ देर तक मज़े से अपनी ऑंखें बंद करके चुचियों के निप्पल को सहलाने के बाद अपनी ऑंखें खोलते हुए अपनी चुचियों से हाथों को हटा लिया । कंचन अब आईने में अपनी चूत को देखने लगी, उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे क्योंकी कुछ दिन पहले ही उसने अपनी चूत के बाल हेयर रिमूव लगा कर साफ़ किये थे ।
कंचन को खडे खडे टाँगो में दर्द होने लगा, उसने अपने कमरे से एक स्टूल उठाया और उस पर बैठ गयी ।



कंचन ने स्टूल पर बेठते हुए अपनी टाँगें फैला दी और आईने में देखने लगी, कंचन ने देखा उसकी चूत बिलकुल गोरी थी उसकी चूत के ऊपर एक दाना था और नीचे एक लकीर और आखिर में आपस में जुड़े हुए दो होंठ । कंचन ने अपनी चूत को कई दफ़ा देखा था मगर इतनी गौर से पहली दफ़ा देख रही थी ।

कंचन अपना हाथ अपनी चूत के दाने पर रखकर उसे सहलाने लगी "आह्ह शी चूत के दाने को छूते ही कंचन का पूरा शरीर कंपकपा उठा और उसकी चूत में से ज़्यादा पानी निकलने लगा।

कंचन अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपने चूत के होंठो पर फेरने लगी और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ लाल रंग नज़र आने लगा ।
कंचन ने अपनी चूत के होंठो को चिरते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए दुसरे हाथ की ऊँगली से अपनी चूत के छेद को कुरदने लगी, ऐसा करते हुए कंचन को बुहत मजा आ रहा था ।

कंचन का पूरा जिस्म ऐसा करते हुए कंपकंपा रहा था और उसकी चूत के छेद से पानी निकल कर उसकी ऊँगली को भिगो रहा था, कंचन ने उत्तेजना में आकर अपनी ऊंगली को बुहत ज़ोर से अपनी चूत के छेद पर दबा रही थी । जिस वजह से उसकी ऊँगली एक इंच तक उसकी चूत में अंदर बाहर हो रही थी ।
कंचन का पूरा जिस्म अकडने लगा और उसका गला ख़ुश्क हो गया, "आह्ह इस थोडी ही देर में कंचन की चूत झटके खाते हुए झरने लगी और वह अपनी ऑंखें बंद करके झरने का मजा लेने लगी।

कंचन की चूत से झरते हुए पानी की नदी बहने लगी और उसका पूरा हाथ अपनी चूत के निकलते हुए पानी से भीग गया, कंचन की ज़िंदगी का यह पहला ओर्गास्म था ।उसे झरते हुए इतना मजा आया की वह अपने आप को कोसने लगी की नीलम की बात उसने अब तक क्यों नहीं मानी थी ।
कंचन को नीलम की बातें याद आने लगी, "कंचन जब मैंने पहली बार अपनी चूत को अपने हाथों से रगडा तो झरते हुए मुझे इतना मजा आया था की पूछो मत, मगर जब मैंने पहली बार जब लंड चूत में गया तो उसका मजा मैं लफ़्ज़ों में नहीं बता सकती।



कंचन ने फैसला कर लिया की अब चाहे जो भी हो वह लंड का स्वाद चख कर रहेगी, नीलम की बात उसके दिल में बैठ गयी थी की अगर वह किसी और से चुदवाने से डरती है तो अपने भाई को ही लिफ्ट दे दे ।
कंचन सोचने लगी की बात तो सही है अगर अपना भाई ही पट जाये तो घर की बात घर में ही रह जायेगी और उसके बारे में किसी को बतायेगा भी नहीं । कंचन सोचने लगी मगर विजय तो बुहत शर्मीला है उसे पटाने के लिए सारी मेंहनत उसे ही करनी होगी, कंचन ने एक प्लान बनाया जिसे वह आज रात को आज़माने वाली थी।
कंचन अपने कपड़े पहन कर बेड पर सोने की कोशिश करने लगी, दोपहर के टाइम में सभी सोने की कोशिश में लगे हुए थे । वहीँ रेखा अपने कमरे में ससुर के बारे में सोचते हुए अपनी उँगलियों से अपनी चूत को दो बार शांत कर चुकी थी ।
रेखा की चूत दो बार पानी बहाने के बाद भी शांत होने की बजाये और ज़्यादा गरम हो गई थी, रेखा ने सोच लिया था की अगर उसे अपनी चूत की खुजलि मिटानी है तो पहल उसे ही करनी होगी।

रेखा के दिमाग में एक आइडिया आया और वह अपने ससुर के कमरे में जाने लगी, इधर अनिल भी अपने कमरे में बेड पर लेटा हुआ अपनी बहु के बारे में सोच रहा था । नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी ।
अनिल का लंड अपनी बहु की जवानी के बारे में सोचते हुए उसकी धोती में उछल कूद मचा रहा था, अचानक दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनाइ दिया और अनिल समझ गया की उसकी बहु आ रही है । अनिल जल्दी से अपनी ऑंखें बंद करते हुए सोने का नाटक करने लगा।

रेखा जैसे ही कमरे में दाखिल हुयी उसने देखा उसका ससुर सो रहा है, वह चलते हुए बेड पर अपने ससुर के पॉव के पास जाकर बैठ गयी और अपने ससुर की धोती की तरफ देखने लगी ।अनिल सीधा सोया हुआ था। जिस वजह से उसका लंड खडा होकर उसकी धोती में तम्बू बना हुआ था ।
रेखा गरम तो पहले से ही थी मगर अपने ससुर के लंड को उसकी धोती में खडा देखकर उसके जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौडने लगी, रेखा अपना कण्ट्रोल खो चुकि थी उसकी साँसें तेज़ चल रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।


रेखा के हाथ अपने आप उठते हुए अपने ससुर की धोती के ऊपर बने हुए तम्बू पर आकर रुक गई, रेखा अपना हाथ अपने ससुर के लंड महसूस होते ही उसकी साँसें बुहत तेज़ चलने लगी ।अनिल अपनी बहु का हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही सिहार उठा और उसका लंड धोती में बुहत ज़ोर से उछलने लगा ।

रेखा के हाथ पर उसके ससुर का लंड बुहत ज़ोर से टक्कर मारने ल्गा, रेखा ने बुहत तेज़ साँसें लेते हुए अपने ससुर के लंड को धोती के ऊपर से अपने दोनों हाथों से पकड लिया । रेखा के हाथों में अपने लंड के जाते ही अनिल का जिस्म अकडने लगा।

रेखा के हाथ अपने ससुर के लंड पर पडते ही एक्साईटमेंट में उसकी चूत से पानी निकलने लगा, रेखा अपने दोनों हाथों से अपने ससुर का लंड पकडे हुए ऊपर नीचे करने लगी ।अनिल की हालत बुहत खराब होने लगी ।
महेश को ऐसा लग रहा था की अगर जल्दी से उसके लंड से हाथ न हटाये गए तो वह यहीं झर जायेगा । अनिल ने अचानक हडबडाते हुए अपनी ऑंखें खोल दिया, रेखा ने अपने ससुर की ऑखें खुलते ही अपने हाथों को वहां से हटा दिया ।अनिल ने उठते हुए अपनी आँखों को मलते हुए नाटक करते हुए कहा "क्या हुआ बेटी तुम यहाँ पर क्या कर रही हो।




जी मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं यहाँ चलि आई, आप सोये हुए थे तो मैं यहाँ बैठ गई", रेखा ने अपनी थूक गटकते हुए कहा । "कोइ बात नहीं हम भी जाग गए हैं आपस में बातें करते है", अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"बाबूजी आप ज़रूर सपने में किसी लड़की को देख रहे थे", रेखा ने हँसते हुए कहा।
"तुम्हेँ कैसे पता चला बेटी", अनिल ने हैंरान होने का नाटक करते हुए कहा।
"आप के इस महाराज को देखकर", रेखा ने ऊँगली से अपने ससुर के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"तुम ने सच कहा बेटी मैं सपने में किसी लड़की को ही देख रहा था", अनिल ने एक ठण्डी आह भरते हुए कहा।
"सच बाबूजी प्लीज बतायें न कौन थी वह ख़ुशनसीब" रेखा ने अपने ससुर से कहा।
"छोड़ो न बेटी कोई दूसरी बात करते है", अनिल ने अपनी बहु को टालते हुए कहा।
"ता आप हमें नहीं बतायेंगे", रेखा ने मुँह बनाते हुए कहा।
"अरे बेटी तुम तो नाराज़ हो गई", अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हा बाबू जी हमें जानना है की हमारे प्यारे ससुर को नींद में कौन सी परी तंग करती है", रेखा ने अपने ससुर को देखते हुए कहा ।

"बेटी मैं बताता हूं, मगर तुम नाराज़ तो नहीं होगी न?", अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हम भला क्यों नाराज़ होंगे, वैसे भी हम आपस में दोस्त हैं आपस की बातें एक दुसरे को नहीं बतायेंगे तो फिर किसे बतायेंगे", रेखा ने ऑंखें नाचते हुए कहा ।
अनिल ने रेखा की बात सुनते ही मन ही मन में मुस्कुराते हुए कहा "बेटी वह तुम हो"।
"बापु जी आप क्या बोल रहे है", रेखा ने अपने ससुर की दीलेरी पर हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ बेटी मैं सच कह रहा हूं, मुझे सारा टाइम तुम्हारा ही गठीला बदन अपने आँखों के सामने दिखाई देता है" ।



"बाबूजी आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले, ऐसी क्या चीज़ है मुझ में जो आपकी बहु होते हुए भी आपको मैं अच्छी लगती हूँ?", रेखा ने अपने ससुर के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा ।
"बेटी मुझे तुम्हारी वह बड़ी बड़ी चुचियां और तुम्हारे मांसल चूतड़ मुझे बुहत अच्छे लगते है" अनिल ने बड़ी बेशरमी से जवाब दिया।
"हाय राम क्या कलयूग का दौर आ गया है ससुर को अपनी बेटी जैसी बहु की चुचियां और चूतड़ अच्छे लगते हें ?"

रेखा ने शर्म के मारे लाल होते हुए कहा।
"बापु जी आपका यह महाराज भी इसीलिए हमेशा खडा रहता है" रेखा ने अपने ससुर के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"हा बेटी सच कहा यह नालायक किसी रिश्ते को नहीं जानता" अनिल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ।
"बाबू जी तब तो आपका दिल हमारे जिस्म को छुने की भी खवाहिश रखता होगा" रेखा ने बात को आगे बढाते हुए कहा।
"सच कहूँ तो बेटी हमारा दिल आपके जिस्म को एक बार नंगा देखना चाहता है" अनिल ने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा।

"बापु जी आप यह क्या कह रहे हो, हम आपकी बहु हैं यह सोचना भी पाप है", रेखा ने नाटक करते हुए कहा।
"देखो बेटी हम यह सब नहीं जानते, हमारे दिल में जो था वह आपको बता दिया" अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा ।
"बाबूजी अगर हम एक दफ़ा आपको अपना नंगा जिस्म दिखा दें तो क्या आप मेरी बात मानोगे", रेखा ने शरमाते हुए कहा।
"हा बहु अगर तुम मेरी खवाहिश पूरी कर दो तो तुम्हारी हर बात मानेंगे" अनिल ने खुश होते हुए कहा ।

"बाबूजी हमें शर्म आ रही है", रेखा ने शरमाते हुए कहा।
अनिल वहां से उठते हुए जल्दी से कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और अपनी बहु के पास आकर बैठते हुए कहा "देखो बेटी हम आपस में दोस्त हैं फिर एक दुसरे से शर्म कैसी और वैसे भी हमारे बारे में किसी को पता नहीं चलेगा"।
"ठीक है बाबूजी मगर मैं अपने कपड़े उतार नहीं पाऊँगी इन्हें आप ही उतार देना", रेखा ने फिर से शरमाते हुए कहा।
"ठीक है बेटी तुम खडी हो जाओ हम ही तुम्हारे कपड़े निकाल देते हैं" अनिल ने खुश होते हुए कहा।

रेखा अपने ससुर की बात सुनकर उठते हुए खडी हो गयी, अनिल अपनी बहु के उठते ही खुद भी जल्दी से उठ कर खडा हो गया । रेखा अपना सर झुकाये खडी थी ।
अनिल ने रेखा की साड़ी में हाथ ड़ालते हुए गोल घूमाते हुए रेखा की साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया, रेखा अब अपने ससुर के सामने सिर्फ पेटीकोट और पेंटी में खडी थी । अनिल अपनी बहु का गोरा और चिकनी टांगों को देखकर ठण्डी आहें भरने लगा ।



अनिल अब अपनी बहु के पेटिकोट को उतारने लगा, पेटिकोट के उतारते ही अनिल का लंड ब्लाउज में क़ैद अपने बहु की बड़ी बड़ी चुचीयों को देख ज़ोरों से उसकी धोती में उछलने लगा । अनिल ने जल्दी से रेखा की ब्लाउज को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया ।
अनिल के सामने उसकी बहु अब सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में खडी थी, रेखा के बड़े बड़े बूब्स उसकी छोटी सी ब्रा में सिर्फ ३०% ही समां पा रहे थे ।रेखा की ७०% नंगी चुचीयों को देखकर अनिल की हालत खराब होने लगी।

अनिल ने जल्दी से रेखा की ब्रा का भी उतारते हुए बेड पर फ़ेंक दिया, अनिल की बहु रेखा अब उसके सामने अपनी दो बड़ी बड़ी चुचियों के साथ नंगी खडी थी । रेखा की दो बड़ी बड़ी गोरी चुचियों को देखकर अनिल लार टपकाने लगा ।
रेखा की चुचियों के हलके भूरे निप्पल उत्तेजना के मारे और ज़्यादा मोटे और कड़े होकर सीधे खडे थे, "वाह बेटी क्या चुचियां हैं तुम्हारी दिल करता है इन्हें अपने हाथों में पकड कर चूम लू", अपनी बहु की ख़ूबसूरत चुचियों को देखकर अनिल के मूह से निकल पडा ।

अपने ससुर की बात सुनकर रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकलने लगा और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी, रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे होने लगी । अनिल वहीँ पर खडे होकर कुछ देर तक यों ही अपनी बहु की हिलती हुई चुचियों को देखने लगा ।
अनिल जी भरकर अपनी ऑंखों से अपनी बहु की चुचियों को पीने के बाद अपने हाथों से उसकी पेंटी को उतारने लगा । रेखा की पेंटी उतारने के बाद उसके ससुर ने जल्दी से उसकी छोटी सी कच्छी भी उतार दिया, अनिल के सामने अब उसकी बहु बिलकुल नंगी खडी थी।

अनिल अपनी बहु की चूत को देखकर पागल होने लगा, वह बड़े गौर से अपनी बहु की चूत को देखने लगा । अनिल जी भरकर अपनी बहु की चूत को देखने के बाद अपनी बहु के पीछे आते हुए उसकी भरी हुई गांड को घूरने लगा ।
रेखा की गांड का छेद हल्का भूरा था जिसे देखकर अनिल की साँसें रुकने लगी, "बाबूजी हमारी टांगों में दर्द हो रहा है" रेखा ने अपने ससुर से कहा।
"बेटी बेड पर बैठ जाओ", अनिल ने जल्दी से कहा ।

रेखा वहां से चलते हुए बेड पर बैठ गई, वह चलते हुए जानबूझ कर अपनी गांड को मटका कर चल रही थी ।रेखा ने बेड पर बैठते ही अपनी टांगों को थोडा सा खोलते हुए कहा "बापु जी आप ने हमें नंगा देख लिया अब मेरी बात भी माननी पड़ेगी आपको ?
"हा बेटी जो तुम कहो मैं करने को तैयार हूँ", अनिल अपनी बहु की झांटो से भरी चूत को देखते हुए बोला,
"बापु जी जैसे आपने हमें नंगा किया है वैसे ही हम आपको भी नंगा देखना चाहते हैं" रेखा ने शर्म से कन्धा झुकाते हुए कहा।
"क्या बेटी तुम भी अपने ससुर को नंगा देखना चाहती हो"
"हा बाबूजी हम आपको नंगा देखना चाहते है" रेखा ने बड़ी बेशरमी से कहा ।



कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks



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