HOT STORIESOF INDIANS: Incest parivar 5

Wednesday 8 July 2020

Incest parivar 5





"भइया बस और अंदर मत घुसाओ मेरी चूत फट जाएगी, मेरे पति का इतना ही लम्बा था" ज्योति ने बुहत तेज़ी से साँसें लेते हुए कहा ।
समीर अपनी बहन को अब उतना लंड ही डाले चोदने लगा, १५-२० धक्कों के बाद ही ज्योति बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपना चूतड़ उछालने लगी । समीर अपनी बहन के चूतड़ उछालने से समझ गया के वह झरने वाली है इसीलिए वह अपनी बहन की चूत में बुहत तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा ।

ज्योति अपनी चूत में ८ साल बाद अपने भाई के लंड की रगड से पागल हो रही थी और उसका सारा बदन मज़े के मारे काम्प रहा था । ज्योति का पूरा बदन पसीने से भीग गया और उसका पूरा बदन अकडने लगा ।
ज्योति की चूत अचानक झटके खाते हुए झरने लगी और ज्योति अपने बड़े भाई के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ अपने चूतड़ उछालते हुए मज़े से अपनी ऑंखें बंद करके "उह आह्ह्ह्ह ईह" करते हुए झरने लगी । समीर अपनी बहन की चूत से पानी निकलता हुआ देखकर उसे बुहत ज़ोर के धक्के लगाते हुए पेलने लगा।

ज्योति की चूत एक बार झरने से अंदर से बिलकुल गीली हो चुकी थी। जिस वजह से अब समीर का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था । समीर ने अपनी बहन के पूरा झरने के बाद उसकी टांगों को ज़ोर से पकडते हुए ३-४ ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में घुसा दिया ।

"उईई माँ मार ड़ाला ओहहहह मेरी चूत फट गई" ज्योति अपने भाई का पूरा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए तडपने लगी ।

समीर अपनी बहन को ऐसे चिल्लाते हुए देखकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर झुक गया और अपनी बहन की एक चूचि को सहलाते हुए उसकी दूसरी चूचि के दाने को अपने मूह में भरकर चूसने लगा ।

ज्योति कुछ देर में ही कुछ शांत हो गई और अपने बड़े भाई के बालों में हाथ ड़ालते हुए अपनी चूचि पर दबाने लगी।
"दीदी बुहत दर्द हो रहा है क्या?" समीर ने अपनी दीदी की चूचि को अपने मूह से निकालते हुए कहा।
"नही भैया अब ठीक है, आपका लंड इतना बड़ा है की वह मुझे अपने पेट तक महसूस हो रहा है" ज्योति ने सिसक कर अपने चुतडो को अपने भाई के लंड पर उछालते हुए कहा।



समीर अपनी बहन को एक चुम्बन होंठो पर देते हुए उसकी चुचियों को अपने हाथों से पकडते हुए उसकी चूत में हलके धक्के लगाने लगा । ज्योति अपने भाई के लंड को अपनी चूत में जड़ तक महसूस करके मज़े से बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई के होंठो को चूमने लगी, समीर अपनी बहन को गरम होता हुआ देखकर उसके ऊपर से उठते हुय उसकी टांगों को पकड लिया ।

समीर अपनी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर से घूसाने लगा । ज्योति अपने बड़े भाई के हर धक्के के साथ मज़े से काम्प उठती । ज्योति को इतना मजा आ रहा था की वह अपने भाई के हर धक्के के साथ अपने मांसल चूतड़ उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसक रही थी ।
ज्योति का बदन अकडने लगा और उसकी चूत अपने भाई के मोटे और लम्बे लंड से हारकर फिर से काँपते हुए आंसू बहाने लगी । ज्योति ज़िंदगी में पहली बार एक चुदाई से दो बार झरी थी।

समीर अभी तक झडा नहीं था, अब वह अपनी बहन की चूत में बुहत तेज़ और भयानक धक्के लगाने लगा । ज्योति की चूत दो बार झरने की वजह से बुहत गीली थी और समीर के हर धक्के के साथ उसकी चूत से फ़च फच की आवाज़ निकल रही थी ।
ज्योति की चूत आधे घन्टे से अपने बड़े भाई से चुद्वाते हुए लाल हो चुकी थी, अचानक समीर हाँफते हुए ज़ोर जोर से धक्के लगाने लगा ।

"दीदी मैं झरने वाला हूं, जल्दी बताओ अंदर झडुं या बाहर?" समीर ने तेज़ साँसें लेते हुए कहा।
"भइया अंदर झरना मेरी चूत कब से प्यासी है, आज इसे अपने भाई के लंड का वीर्य पीने दो" ज्योति ने अपने भाई को जल्दी से जवाब देते हुए कहा ।

"आह्हः दीदी मैं गया" समीर अपना लंड बुहत तेज़ी के साथ अपनी बहन की चूत में अंदर बाहर करता हुआ झरने लगा।
"ओहहह शहहह भैया आप बुहत अच्छे हो, आह्ह्ह्ह मैं भी आई" अपने बड़े भाई के लंड का वीर्य अपनी सालों से प्यासी चूत में गिरते ही ज्योति भी अपनी चूत को अपने भाई के लंड पर ज़ोर से पटकते हुए झरने लगी।
समीर के लंड से जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकल कर अपनी सगी बहन की चूत को भरने लगी। समीर झरने के बाद निढाल होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पडा । ज्योति भी अपने भाई के मुसल लंड से चुदते हुए तीन बार झडी थी और वह भी अपनी आँखें बंद किये हुए हांफ रही थी ।




दीदी हमने जो किया क्या वह सही था?" समीर ने बेड पर लेटते हुए ही अपनी बहन से सवाल किया।
"पर दुनिया वालों के लिए यह पाप है, पर तुम जानते हो के हम दोनों को एक दुसरे से जो ख़ुशी मिली है । वह हम सारी ज़िंदगी नहीं भूल सकते" ज्योति ने अपने बड़े भाई को समझाते हुए कहा ।
समीर अपनी छोटी बहन की बात सुनते ही उसे अपनी तरफ खींचते हुए बाँहों में भर लिया । ज्योति अपने बड़े भाई से ऐसे लिपट गयी जैसे वह उसकी बहन नहीं प्रेमिका हो, समीर और ज्योति ने उस रात दो बार और अपनी हवस एक दुसरे से मिटाई और फिर समीर वहां से जाकर अपने कमरे में सो गया।

सूबह ७ बजे अलार्म के बजते ही रेखा उठकर फ्रेश होने चली गयी । रेखा फ्रेश होने के बाद अपने पति और दोनों बेटियों को उठाने के बाद अपने बेटे के कमरे में जाने लगी, रेखा अपने बेटे के कमरे में आते ही बेड पर आकर बैठ गयी ।
विजय चादर लपेट कर सोया हुआ था, रेखा ने चादर को खीँच कर विजय के ऊपर से हटा दिया । चादर के हटते ही रेखा की आँखें खुली की खुली रह गयी ।

विजय बिलकुल नंगा होकर सीधा लेटा हुए था, रात को देर से सोने की वजह से वह गहरी नींद में सोया हुआ था । विजय का लंड बिलकुल तना हुआ ऊपर नीचे हो रहा था जैसे वह अपनी माँ को सलामी दे रहा हो ।
रेखा इतनी सुबह अपने बेटे का खडा लंड देखकर गरम होने लगी, विजय के लंड के पास हलके हलके बाल थे । रेखा से रहा नहीं गया और उसने अपना हाथ आगे करते हुए अपने बेटे का लंड पकड लिया, विजय का लंड अपने हाथ में आते ही रेखा की साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी।

विजय का लंड इतना गरम और ठोस था की रेखा को ऐसा महसूस हो रहा जैसे उसने किसी गरम लोहे को अपने हाथ में पकडा हुआ हो । रेखा मन ही मन में सोचने लगी की उसके बेटे की जिससे शादी होगी वह बुहत ख़ुशनसीब होगी ।
रेखा के दिमाग में अचानक ख़याल आया की अगर इस वक़त यह लंड उसकी चूत में होता तो उसे कैसा महसूस होता । रेखा को यह ख़याल आते ही उसके जिस्म में एक सिहरन दौडने लगी और उसके हाथ से अपने बेटे का लंड ज़ोर से दब गया ।





विजय अपने लंड के ज़ोर से दबने से हड़बड़ा कर उठ गया और अपनी माँ को सामने देखकर जल्दी से चादर उठाकर अपना नंगा जिस्म छूपाने लगा । रेखा अपने बेटे के उठने से होश में आते हुए अपने बेटे से हँसते हुए कहा "विजय इतनी देर से तुम्हें उठा रही हूँ और तुम हो की सुन ही नहीं रहे हो किसका सपना देख रहे थे ?"
"किसी का भी नही " विजय ने हकलाते हुए कहा।
"रात को इतनी गर्मी थी क्या जो बिलकुल नंगे होकर सो गये?" रेखा ने वैसे ही मुस्कुराते हुए अपने बेटे को टोकते हुए कहा।

"हा माँ रात को बुहत गर्मी थी" विजय ने थूक गटकते हुए कहा।
"लगता है तुम्हारी शादी जल्दी करनी पड़ेगी इतनी गर्मी जो है तुम में" रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी । विजय सुबह सुबह अपनी माँ की ऐसी बातें सुनकर बुहत गरम हो गया ।
विजय ने बाथरूम में जाकर अपने लंड को हिलाकर झाड़ दिया और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आ गया । विजय नाशता करने के बाद अपनी बहनों के साथ कॉलेज के लिए निकल गया, कॉलेज जाने के लिए आज भी वह एक रिक्शा में बैठ गए ।

आज रिक्शा में बैठने के बाद विजय बार बार अपनी बहन के जिस्म से अपने जिस्म को टच करने की कोशिश कर रहा था । कंचन समझ गयी की उसका भाई उसके लिए तड़प रहा था, इसीलिए उसने अपने बाज़ू को ऊपर करते हुए अपने भाई के दूसरी तरफ वाले काँधे पर रख दिया ।
विजय ने जैसे ही अपनी बड़ी बहन की तरफ अपना मूह किया उसको अपनी बहन की चूचि अपनी आँखों के बिलकुल सामने दिखाई दी । विजय का दिल तो कर रहा था की अपनी बड़ी बहन की चूचि को अपने हाथ से मसल दे मगर वह ऐसा नहीं कर सकत था।

विजय को अपनी बहन के जिस्म की ख़ुश्बू पागल बना रही थी, कंचन ने अपने जिस्म पर बुहत खुसबू वाला बॉडी स्प्रे लगाया हुआ था । विजय की तम्मना भगवान ने सुन ली और रिक्शा एक खड्डे में से गुज़रने लगा ।
कंचन ने अपने भाई को ज़ोर से पकड लिया और विजय ने मौका देखकर अपना मूह अपनी बड़ी बहन की चूचि पर रगडने लगा । ऐसे ही कब उनका कॉलेज आया उन्हें पता ही नहीं चला और वह तीनों रिक्शा से उतरकर अपने कॉलेज में जाने लगे ।




रेखा सब के जाने के बाद अपने प्यारे ससुर के लिए चाय बनाकर उनके कमरे में चलि गयी । रेखा ने आज सलवार और कमीज पहनी थी क्योंकी वह अपने बूढ़े ससुर को तडपाना चाहती थी, रेखा ने बुहत पतली कमीज पहनी थी जिस में से उसका सारा जिस्म दिख रहा था ।
रेखा अपने ससुर के कमरे में पुहंचते ही चाय को टेबल पर रखते हुए अपने ससुर को उठाने लगी । अनिल अपनी बहु की आवाज़ सुनते ही अपनी ऑंखें मलते हुए उठकर बैठ गया, अनिल ने जैसे ही अपनी बहु को देखा उसका लंड बुहत ज़ोर से उछलने लगा।

"बाबूजी आप चाय पी लो मैं अभी आती हू" रेखा अपने ससुर को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर उसकी धोती की तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुय कहा । रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी ।
अनिल चाय पीने के बाद अपने बाथरूम में घुस गया और अपनी धोती उतारते हुए फ्रेश होने की तैयारी करने लगा । रेखा थोडी देर बाद अपने ससुर के कमरे में पुहंची, अनिल के बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था और वह बिलकुल नंगा होकर नहा रहा था ।

"बाबूजी कुछ तो शर्म करो, नंगे होकर नहा रहे हो दरवाज़ा तो बंद कर लो" रेखा ने अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
"बेटी अब तुम से क्या छुपाना, वैसे भी हम दोनों ने एक दुसरे की हर चीज़ देख ली है" अनिल ने अपनी बहु की आवाज़ सुनते ही सीधा होते हुए कहा ।
"बाबूजी आप का यह तो हर वक़त खडा ही रहता है " रेखा ने अनिल के सीधे होते ही उसका तना हुआ लंड देखकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा।
"अपनी बहु के गठीले जिस्म को देख कर बेचारा खुश होकर उछलने लगता है और कुछ कर तो नहीं सकता" अनिल ने बड़ी बेशरमी से यों ही अपनी बहु के सामने खडे कहा।

"बाबूजी लगता है आप की तरह यह भी बेशरम है जो अपनी बेटी जैसी बहु को देखकर इतना उछलने लगता है" रेखा ने अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा।
"बेटी वह टॉवल तो उठा कर देना मैं भूल गया था" अनिल ने अपनी बहु से कहा ।
रेखा बेड से टॉवल उठाकर अपने ससुर को देने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी ।
"बाबूजी टॉवेल" रेखा ने बाथरूम के दरवाज़े तक पुहंचकर कहा ।

अनिल ने सीधा होते हुए अपनी बहु को बाज़ू से पकड कर अंदर खीँच लिया । रेखा लडखडाते हुए अपने ससुर के सीने से जा टकराई, शावर खुला होने के कारण रेखा के पूरे कपडे पानी से भीग गयी।
"बाबूजी यह क्या कर दिया आपने। मेरे पूरे कपडे भीग गये" रेखा ने अपने आप को अपने ससुर से छुडाते हुए कहा । अनिल ने रेखा के हाथ से टॉवल लेते हुए दरवाज़े पर रख दिया और अपनी बहु को अपनी बाहों में ज़ोर से भर लिया।



रेखा ने पतली कमीज पहन रखी थी जो पानी में भीग जाने से उसकी बॉडी से चिपक गयी थी और उसकी ब्रा में क़ैद बड़ी बड़ी चुचियां अनिल के सीने में दब गयी थी,
"बाबूजी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी जैसी बहु को अकेला देखकर उसका फ़ायदा उठाते हो" रेखा ने अपने आप को छुड़ाने की नाक़ाम कोशिश करते हुए कहा ।
"बेटी अब बहु अगर इतनी सूंदर होगी तो उसके ससुर का क्या क़सूर" अनिल ने अपनी बहु के काँधे को चूमते हुए कहा।
"बाबूजी हमें छोड दिजीये यह पाप है, हम आपके साथ यह सब नहीं कर सकते" रेखा ने अपने ससुर को तडपाने के लिए उससे छूटने का नाटक करते हुए उसके पीठ पर मुक्के मारते हुए कहा।

"वाह बेटी अब यह सब पाप हो गया और जब कल तुम अपने ससुर से अपनी चूत को चूसवा रही थी । उस वक़त पाप नहीं था" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की बाहों को पकडते हुए उसके होंठो को काटते हुए कहा।
"हा पिता जी वह मैं बहक गयी थी मुझे छोडो" रेखा ने अपने होंठो पर अपने ससुर के दाँत पडते ही चीखते हुए वही नाटक दुहराते हुए कहा ।
"साली बुहत नाटक करती है" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की कमीज को फाड़ते हुए उसे बाथरूम की दीवार पर दबाते हुए कहा।
अनिल ने रेखा को बाथरूम की दीवार से सटा रखा था और उसके सामने वह बिलकुल नंगा खडा होकर उसकी ब्रा में क़ैद बड़ी बड़ी चुचियों को देख रहा था।

रेखा समझ गयी थी की उसका ससुर आज उसे चोदे बिना नहीं रहेंगे, रेखा ने अपने ससुर के तगडे लंड को घूरते हुए फिर से नाटक करते हुए कहा "बापु जी हमारे साथ ऐसा मत करो हम किसी को मूह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे" ।
अनिल खुद हैंरान था की उसकी बहु को क्या हो गया है, कहाँ कल वह उससे चुदवाने के लिए मरी जा रही थी और आज उससे दूर भाग रही है । अनिल ने आगे बढ़ते हुए अपनी बहु की सलवार का नाडा खोल दिया, नाडे के खुलते ही रेखा की सलवार उसके जिस्म से अलग होकर उसके पांव में गिर गई।

रेखा अब अपने ससुर के सामने सिर्फ एक ब्रा और कमीज में थी। अनिल ने अपनी बहु के भीगे बदन को देखते हुए नीचे झुककर अपनी बहु की सलवार को उसकी टांगों से अलग कर दिया । अनिल ने अब उठते हुए अपनी बहु की ब्रा को खीच कर फाड दिया ।
रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां ब्रा के फ़टते ही उछलते हुए अनिल की आँखों के सामने आ गई । अनिल के मुँह में अपनी बहु की बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर पानी आने लगी, अनिल ने अपनी बहु को बालों से पकडते हुए शावर के नीचे खडा कर दिया।




शावर से निकलता हुआ पानी रेखा के सर से होता हुआ उसकी चुचियों पर गिरने लगा । अनिल ने अपनी बहु की एक चूचि को ज़ोर से अपने हाथ से मसलते हुए अपने मूह में डाल दी और शावर से गिरते हुए पानी को अपनी बहु की चुचियों को चूसते हुए पीने लगा ।
"हाहहह बापू जी आराम से" रेखा अपने ससुर के ज़ोर से उसकी चूचि को चूसने से चीखते हुए बोली।
"क्यों साली रंडी अब क्यों चिल्ला रही है" अनिल ने गुस्से से अपनी बहु की चूची को ज़्यादा ज़ोर से चूसते हुए दाँत से काटते हुए कहा।
"वो बापू जी दरद हो रहा है, मैं आपकी बहु हूँ कुछ तो ख्याल करो" रेखा ने अपनी चूची को काटने से दरद से तड़पते हुए कहा।

"साली रंडी कल से मुझे तडपा रही है, जानबूझ कर अपनी चुचियां दिखा कर गर्म करती हो और फिर हाथ लगाने पर नाटक करती हो । आज मैं तुम्हें बताऊंगा की मरद के साथ ऐसा हरकत करने का क्या नतीजा होता है" अनिल ने गुस्से में आकर अपनी बहु की चूचि को छोड़ते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम से निकलते हुए बेड पर पटकते हुए कहा ।

अनिल ने अपनी बहु को बेड पर सुलाते ही उसके ऊपर चढ़ गया और रेखा की चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपने मूह में लेकर चूसने लगा।
"आहहह साले क्या सारा दिन मेरी चुचियों को ही चूसते रहोगे या और भी कुछ करोगे" रेखा ने गरम होते हुए अपना नाटक छोडते हुए अपने ससुर को कहा ।
"साली आ गयी न अपनी लाइन पर अब देखना मैं तुझे कैसे चोदता हूँ" अनिल अपनी बहु की बात सुनकर खुश होते हुए उसकी चुचियों को छोडते हुए बोला, अनिल ने नीचे होते हुए अपनी बहु की कच्छी को ज़ोर से खीचते हुए फाड़ दिया । रेखा अब अपने ससुर के सामने बिलकुल नंगी सोयी थी।

अनिल ने अपनी बहु को गौर से देखते हुए ज़्यादा देर न करते हुए उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसकी रसीली चूत के छेद से निकलते हुए पानी पर रगडने लगा।
"आजहहह बापू जी घुसा दो न क्यों तडपा रहे हो" रेखा ने अपने ससुर के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते ही अपने चूतड़ उछालते हुए कहा।
अनिल अपनी बहु की बात सुनकर अपने लंड को पकडकर अपनी बहु की चूत के छेद में फंसाते हुए धक्का देने ही वाला था की बाहर दरवाज़ा खटखटाने की आवज़ सुनाइ दिया ।





साला कौन है इस वक्त दरवाज़े पर , अपनी किस्मत ही खोटी है" अनिल अपनी बहु के ऊपर से हटते हुए अपनी धोती पहनते हुए बोला।
"बाबूजी आपने तो हमारे सारे कपड़े फाड़ दिए, मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े पहनती हूँ । आप जाकर दरवाज़ा खोलो" रेखा भी मन ही मन में दरवाज़ा खटकाने वाले को गाली देते हुए अपने ससुर को बोली।

रेखा वहां से जाते हुए अपने कमरे में आ गई और जल्दी से अलमारी में से एक दूसरी सलवार कमीज निकाल कर पहन ली । अनिल ने जैसे ही दरवाज़ा खोला सामने एक डाक वाला खडा था, उसने अनिल को देखते ही एक लेटर देते हुए एक कागज़ पर सिग्नेचर ले लिया।

अनिल दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए लेटर भेजने वाले का नाम पढ़ने लगा । नाम पढते ही अनिल खुश होते हुए अपनी बहु के कमरे में चला गया।
"बेटी देखो किस ने लेटर भेजा है" अनिल अपनी बहु के कमरे में पुहंचकर खुश होते हुए बोला ।
"क्या हुआ बाबूजी कौन था और आप इतने खुश क्यों हें ?" रेखा ने अपने ससुर को खुश होता देखकर सवाल किया ।

"बेटी हमारी बेटी और तुम्हारी देवरानी का लेटर है" अनिल ने खुश होते हुए कहा।
"अपनी बेटी का खत देखकर इतना क्यों खुश हो रहे हो " रेखा अपने ससुर के हाथ से खत को छीनते हुए टेबल पर रखते हुए बोली ।
रेखा ने अपने ससुर की धोती को खींचकर उतार दिया, अनिल अपनी बहु के सामने बिलकुल नंगा खडा था और उसका लंड सिकुड़ चूका था । रेखा ने जल्दी से ज़मीन पर अपने घुटनों के बल बैठते हुए अपने ससुर के लंड को पकड लिया और उसे सहलाती हुयी अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगी।

"आह्ह बेटी इतनी जल्दी है क्या" अनिल ने अपनी बहु की जीभ अपने लंड पर लगते ही सिसकते हुए कहा।
"हा बाबूजी अब हम बर्दाशत नहीं कर सकते" रेखा ने अपने ससुर के लंड से जीभ को हटाते हुए कहा और अपना मूह खोलकर अपने ससुर के लंड को जितना हो सकता था अपने मूह में भर लिया ।
रेखा अपने ससुर के लंड को ज़ोर से चूसने लगी । रेखा का मूह अपने ससुर के लंड के तनने से पूरा भरकर दुखने लगा इसीलिए रेखा ने अपने ससुर के लंड को अपने मूह से निकाल दिया ।

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